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ताज़गी से भरे इस संगीत में कोई "लोचा" नहीं है।

“ओफ़्फ़ो” में संगीतकार तिकड़ी SEL का चिर-परिचित अंदाज़ — दिलफेंक लड़का, तुनकमिज़ाजी लड़की और कॉलेज-पॉप टाइप फ़ील है जिसमें डिस्टॉर्टेड गिटार तड़के का काम करते हैं। “लोचा-ए-उल्फ़त” ज़ुबाँ पर चढ़ जाने वाला गाना है जिसमें कॉलेज रोमांस को जगाने वाली बेन्नी दयाल की आवाज़ है, और हाँ, वो बैगपाइपर के टुकड़े मन में बस जाते हैं। भावपूर्ण बोल वाला “मन मस्त मगन”, मन में बस जाने वाला सूफ़ियाना अंदाज़ का गीत है। पंजाबी-अंग्रेजी तुकबंदी बोल वाला “इसकी-उसकी” गाना “भँगड़ा पाने” के लिए परफ़ेक्ट है। “चाँदनिया” में लोक संगीत का माधुर्य है तो, ढोल बीट्स वाला “हुल्ला रे” एक जोश भरा डांस नम्बर है।

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#93 in Top Albums
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